Tuesday, July 19, 2011

एक स्त्री की सुनदरता

स्त्री की सुनदरता उसके कपडे से नहीं होती,
ना ही उसके शरीरसे,
और ना ही उस के बाल बनाने के तरीके से.

एक स्त्री की सुनदरता 
उसकी आँखों की चमक से होती है.
वाही तो ह्रदय के द्वार तक जाने का रास्ता होती है,
जहा प्यार का सागर बस्ता है.

एक स्त्री की सुनदरता
उसके चेहरे के नाक नक़्शे से नहीं होती,
उसकी सुनदरता तो उसकी आत्मा से प्रतिबिंबित होती है.

यह चिंता है की वह प्यार से देती है,
वो जुनून जो वो दिखाती है.
और एक स्त्री की  सुनदरता
बड़ते हुवे सालो से अदिक होते रहती है.

आप हँसना नहीं भूल जाते क्यों के आप की उम्र बाद रही है,
उम्र हो गई है इस लिए हसना भूल जाने लगते हो.